________________ धर्मः सदा निशि नोजने // 32 // यतः-मालिंति महियलं जामि-पीए रयणीयरासयं तेणं // ते / दीका विट्टालंति फुलं / रयणीए चुंजमाणे न // 3 // मेहं पिपीलिया / हणंति वमणं च मलिया | कुण॥ जुया जलोयरत्तं / कोलिन न कोढरोगं च // 14 // वालो सरस्स भंगं / कंटो लग्ग गलंमि दारं च // तावूमि विंधश् अली। वंजणमनमि लुंजतो // 55 // जीवाणं कुंथुमाश्ण / घायणं नायणधोयणाश्सु // एमाई रयणिनोयण-दोसा को साहिलं तर // 16 // तदर्णास्त. द्रसा जीवाः / संन्नवंति यतः किल // सर्वशासने तेन / दृषिते मधुमृदणे / / 99 // यत उक्त मागमे-मऊो महुंमि मंसे य / नवणीयंमि चनबए / जप्पङांति असंखात--तवना तब जंतु. णो॥ 7 // . तथा श्रावकलोकस्य / देवः सर्वज्ञ एव हि // धर्मस्तु तत्प्रणीतो यः। स त्वहिंसादिलदाणः // // श्रुतशीलतपोयुक्ता / गुरवस्तु सुसाधवः // तथा सुश्रावका नैव / हिंसति स्थूलदेहिनः // 70 // स्थूलालीकं न जपंति / स्थूलादत्तं न गृह्णते // परदारान गवति / परिगृह्णति नामितं // 71 / / कुर्वति दिक्षु सर्वासु / प्रमाणं गमनाश्रितं / कुर्वति शक्तितो मान-मपि नोगोपनोगः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust