________________ 21 धर्मः | मकारकः // तदहो यत्त्वया पृष्टं / तदादिष्टं मयाखिलं // 6 // अथोक्तं फलदेवेन / शो शुलचंद्र कीदृशः // सुश्रावकसमाचारः / संक्षेपान्मम कथ्यतां // 63 // स प्राह श्रूयतां श्रेष्टिन् / कर्ण दत्वा दणांतरं // श्रावको नाति मांसानि / न मद्यानि पिबत्यसौ / / 64 // न च चुक्ते रजन्यां तु / ना. नाति मधुम्रदणे // एषां हि जदणे दोषा / ऋयांसः कथिता जिनैः / / 65 / / धिग्मांसं यत्परप्राण -प्रणाशेन प्रजायते // को भदये दिदं प्राझो / यद्भुक्तं पातयेदधः / / 66 // अहिंसा धर्मसर्वेखं / कुतः सा मांसजदणे // श्रतः श्रावकलोकेन / मांसमाजन्मवर्जितं // 67 / / मद्यं सर्वप्रमादानां / प्रमादः प्रथमो मतः // प्रथमत्वे च को हेतु-ज्येष्टं यत्पापकारणं // 10 // किंच-वैरूप्यं व्या विपिंडः खजनपरिनवः कार्यकालातिपातो। विषो ज्ञाननाशः स्मृतिमतिहरणं विप्रयोगश्च सद्भिः | // पारुष्यं नीचसेवा कुलबलतुलना धर्मकामार्थहानिः / कष्टं वो षोमशैते निरुपचयकरा मद्यपानस्य दोषाः // 6 // // मूलं सर्वविकाराणां / कारणं पापकर्मणां / / हेतुर्वैरानुबंधस्य / निवासो निखिलापदां // 70 // रागद्वेषादिदोषाणां / पोषणं गुणमोषणं / शिष्टैर्नियं कयं नाम | मद्यं सुश्रावकः / पिबेत् // 11 // युग्मं // आयुर्वर्षशतं लोके / तदर्ध स नपोषितः / करोति विरतिं धन्यो / यः P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust