________________ धर्म- तीवा / दंतपीमा जलोदरं // 11 // ततश्च फलदेवेन / परोपकृतिबंधुना // तस्य रोगहरस्याशु / / | पूर्वोद्दिष्टस्य शाखिनः // 55 // पूर्वोत्तपुष्पपत्राणि / तस्मै दत्तानि सादरं // ततोऽसौ प्रगुणो जातो "नीरोगः कनकलविः // 53 // पृष्टश्च फलदेवेन / कुतस्त्वं कुत्र यास्यसि // किमर्थ वा किमेका२२० | की। कथं वाजनि रोगवान् // 24 // किं कुलं किं च ते नाम / स प्राह श्रूयतामिति // कथामा श्वर्यसंपूर्णा / मामकीनां नरोत्तम // 55 // सिंधुसौवीरदेशस्था-दहं वीतनयात्पुरः॥ अगढ़ क लंहद्दीपं / यानस्थितो धनेलया // 16 // राशिं महांतमादाय / तथा स्वस्य सहायकं // कृत्वा च शुभदत्ताख्यं / वणिक्पुत्रं च दुर्जनं // 57 // युग्मं // विक्रीतानि च गांडानि / ऋरिद्रव्यमुपार्जितं | // ततो भृत्वा निजं पोतं / चलिताः खं पुरंपति // 7 // अर्धमार्ग समायाताः / स्तोकैरपि च वा सरैः // चिंतितं शुजदत्तेन / गृह्णाम्यस्याखिलं धनं // 27 // अथाहं शुजदत्तेन / द्रव्यसबुब्धचेत| सा.॥ दिप्तश्छलेन बोहिस्था-त्पतितोऽगाधवारिणि / / 57 // नहलितः दणादेव / लब्धं फल कखमकं // लमस्तत्र जले ब्राम्यन् / दैवयोगादिहागतः // 60 // अत्रत्यांबुफलाहार-दोषाद्रोगैर| जितः / नाम्ना च शुगचंद्रोऽहं / जिनचंद्रश्च मत्पिता // 61 // सुश्रावकसमाचार-कारको ध PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust