________________ धर्म भावां हि व्रातरौ विहि / हावपि च सहोदरौ॥ पुत्रौ च चंचूमस्य / चंडश्रीकुक्षिसंगवौ / // // // सुचंडपूर्णचंडाख्यौ / बंधूनामतिवलनौ // विद्याधरौ सदा प्रीत्या / वर्तावहे परस्परं // // 30 // अन्यदा पूर्णचंडेण / ब्राम्यता धरणातलं // सिंहलदीपमध्यस्थे / पुरे सिंहपुरानिधे // 210 // 31 // सिंहविक्रम पस्य / दुहिता रत्नसुंदरी // दृष्टा ततश्च सर्वांगं / विकः कामशिलीमुखैः // // 3 // युग्मं / / समाख्यातं ममागत्य / दावप्यावां ततो हुतं // गत्वा सिंहपुरे तूर्ण / गृहीत्वा र. लसुंदरीं // 33 // गगनवम॑ना याव-दागडावस्ततो मम / / नितांतं रत्नसुंदर्याः / सौंदर्येण हृतं मनः // 34 // युग्मं / / उक्तो मया लघुनाता.बालेयं मे भविष्यति // स प्राह न ददे तुन्यमहमिमां विना निये // 35 // ततः सा लातुमारब्धा / तस्य हस्तान्मया बलात् / / केशाकेशिं च कुर्वता-ववतीर्णौ महीतले // 36 // मुक्त्वा वंशकुभंगांतः / कन्यकां रत्नसुंदरीं / गजाविव मदो. न्मत्तौ / लगौ योधुं परस्परं // 31 // युध्ध्वा च विविधैः शस्त्रै–श्चिरमावधमत्सरौ // ततो गाढप्रहारैश्च / पतितावत्र ऋतले // 30 // प्राप्तौ च मरणावस्थां / त्वयोजीवाप्तिौ पुनः॥ तस्मादत्रावयोः श्रीमां-स्त्वदन्यो नोपकारकः / / 35 // त्वं पिता त्वं परं मित्रं / त्वं चात्यंतिकबांधवः // अस्याश्च PP.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust