________________ धर्मः | लं च सा // 4 // न शशाक परं भक्तुं / प्रतिष्टागुणगौरवात् // सा चाहं वनमालेति / व्यंतरी त्वमुपागता // 5 // श्रुत्वेदं फलदेवेन / जजल्पेऽमलया गिरा // यदहं वच्मि हे नछे / त्वं को. पं तत्र माकृथाः // 6 // नेदं मे संगतं जाति / न यच्चेष्टितं त्वया // निरागसोऽपि यल्लोका। 215 | एतावतो निपातिताः // ए // इदं च पुनरत्यंत-मसंगततरंतरं / / यदेव देवदेवोऽय-मपूज्य स्त्वयका कृतः / / ए // धर्मार्थमेव यदोऽपि / पूज्यते च नवादृशैः // धर्मार्थिना च पूज्योऽसौ / यो देवस्त्रिजगत्पनुः // एए // त्रैलोक्यप्रता ताव-उदास्यास्य न विद्यते // तत्संसूचकलिंगानां / यबरीरेऽप्यदर्शनात् // 100 // अस्य तु देवदेवस्य / त्रैलोक्यप्रनुतां स्फुटं // त्रत्रयादिचिह्नानि / व्यंजयंति न संशयः // 1 // तथाहि-श्वेतत्रत्रयं प्रेख-नानारत्नविराजितं / शंसत् त्रैलोक्यनाथत्व-मस्योपरि विराजते // 2 // नजयपार्श्वयोश्चेमौ / सुरौ चामरधारिणौ // व्यक्तं देवाधिदे वत्वं / व्यंजयंतौ विराजितः // 3 // सिंहासनं च सौवर्ण / नास्वदनौघमंडितं // अस्येह ख्यापयः त्येव / त्रैलोक्यमहनीयतां // 4 // तद्भजे देवदेवोऽयं / सर्वामरनरार्चितः // पूजनीयो विशेषेण / | किं शेषैः पूजितैः सुरैः // 5 // तदत्र मत्सरं मुक्त्वा / मुक्त्वा मिथ्यानिमानितां // जगजितमिमं Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.