________________ धर्मःण-मात्मानमिति कट्पयन् / / 60 // विनिर्गत्य स तत्स्थानाद् / द्वितीयाराममागतः // देवकुलं की च तत्रस्थं / प्रविवेश स कौतुकी // 61 // युग्मं // दृष्टा च तत्र यदस्य / प्रतिमातिमहोदरा // सु. | जोगाशुजसमंध-पुष्पमालाजिरर्चिता // 6 // ततोऽसौ चिंतयामास / साश्चर्यो निजमानसे // अहो एकप्रदेशेऽपि / तथैकस्मिन्नृतावपि // 63 // एकोऽयं शुष्ककारामो। द्वितीयस्त्वजिशाबलः // एको देवाधिदेवोऽयं / केनापीह न पूज्यते // 64 // पूज्यतेऽसौ तथा नित्यं / तेनोचैर्विस्मयो मम // कारणेनात्र जो जाव्यं / झातव्यं तत्कथं मया / / 65 // यावदेवं स तत्रास्ते / विकटपाकु लमानसः / तावत्पुरः स्थितामेकां / ददर्शासौ वरस्त्रियं / / 66 // पृष्टा च सा यथा का त्वं / कुतो | वा कुत्र तिष्टसि // सा प्राह देवतात्राहं / वसामि वरकानने // 6 // यदमेनं सदाकालं / सपूज कुर्वती सती // रदंती च निजोद्यानं / नानावृदसमाकुलं // 60 // स प्राह शुष्ककारामे / योऽयं देवोऽवतिष्टते // तं सपूर्ज किमत्यत्र / न करोषि निवेदय / / 60 // तथा शुष्कः स आरामो / नमें चायं तु शाम्वलः // ममैतत्कौतुकं जाति / यदि वेत्सि तदा वद / / 30 // तयोक्तं श्रूयतां | नऊ / सावधानेन चेतसा // थासीदत पुरं रम्यं / शंखावर्ताभिधं महत् // 11 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust