________________ धर्मः / यथा यथा गृहे तत्र | बालोऽसौ परिवर्धते // तथा तथा तदारामे / फलवृघिरपीष्टदा // 30 // एवं म च वर्धमानोऽसौ / वयसाप्तमनोरथः // स्वीकृताशेषविद्यश्च / संप्राप्तो वरयौवनं // 35 // ततश्च जनके नैष / मदा परिणायितः // कन्यकां वसुदत्तस्य / वसुश्रीरितिनामिकां // 40 // एवं च पू. सर्वेनगे / चुक्ते जोगांस्तया सह // प्रावीण्यं च परं विन-कलासु सकलास्वपि // 41 // अथा| न्यदा हृतस्तस्य / पिता हतकमृत्युना // कृतानि मृतकृत्यानि / विशोकश्चाजनि क्रमात् // 42 // | बंधुभिः स्थापितः प्रीत्या / फलदेवः पितुः पदे // सर्व सर्वजनानिंद्यं / व्यवहार चकार सः॥४३॥ का रूपेण लदम्या च / सौजन्यादिगुणैस्तथा // शेषलोकैः समं तेन / व्यतिक्रांतो निजः पि. ता // 44 // अन्यदा कारितास्तेन / पोताः पंच महालयाः // कृत्वा समग्रसामग्रीं / क्रमेण प्रगु णीकृताः // 45 // प्रधाननुरिजां मैश्च / पोताः पंचापि ते भृताः // प्रऋतदिनयोग्यं च / संगृहीतं जोधनं // 46 // शोजने तिथिनदाते / समारूढस्ततः स्वयं // दुर्योधयोधसंघातैः / सार्ध वणिकसुतैश्च सः // 4 // ततश्च प्रेरिताः पोताः / सिंहलदीपसन्मुखं // तूर्ण गंतुं समाधा-स्तूर्यध्वानभृतांबराः // 4 // नवंध्य ऋयसीं ऋमि / स्तोकैरपि दिनै वात् / / प्राप्ता मलयदेशस्य / तटं च | PP.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust