________________ धर्म | जातं ममैश्वर्यं / दूरं नष्टा दरिद्रता // 27 // ततस्तेन समाकार्य / शीघं कर्मकरान बहून् / नालि केरादिवृक्षेन्यो / जग्रहे तत्फलोत्कराः // 20 // ततस्तानपि विक्रीय / लब्धं द्रव्यं यथेप्सितं // क्र. मेण जातमैश्वर्यं / लोकमध्ये च गौरवं // 27 // यतः-मंदरतुल्लावि नरा / अबविहूणा हवंति 200 तिणतुला // तितुल्लावि हु अबेण / परिगया मंदरसमाणा // 30 // यस्यास्तस्य मित्राणि / यस्यास्तिस्य बांधवाः // यस्यार्थाः स पुमान लोके / यस्यार्थाः स च पंडितः // 31 // जातिर्यातु रसातलं गुणगणस्तस्याप्यधो गबतां / शीलं शैलतटात्पतत्वगिजनः संदह्यतां वह्निना // शौर्य वैरिणि वज्रमाशु निपतत्वर्थोऽस्तु नः केवलो। येनकेन विना गुणास्तृणलवप्रायाः समस्ता अमी // // 3 // एवं चैश्वर्ययुक्तोऽसौ / फलसारः फलैः कृतः // मान्यते सर्वलोकेन / सर्वकार्येषु सादरं / / // 33 // अथान्यदास्य गेहिन्याः / कुदौ पुष्पश्रियोऽजनि // गर्नस्ततश्च सा तुष्टा / तमुवाह यथा सुखं // 34 // ; संपूरिताशेष-दोहदा समये च सा // प्रसूता सुंदरं पुत्रं / सर्वलदणसंयुतं // 35 // कारितं च ततः पित्रा / महोत्सवपुरस्सरं // कृतबंधुजनानंदं / वर्धापनकमंजसा / / 36 / / स्वप्रानुसारतस्तस्य / पित्रा नाम प्रतिष्टितं // फलदेव इति ख्यातं / विनृत्या बंधुभिः सह // 37 / / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust