________________ धर्म र्मदः // पुष्पामंबरदर्शनेन ददति प्रायः फलानि जुमा / नोत्सेको न मदो न कालहरणं दानप्रवृ. टीका तौ सतां // 60 // सम्यग्ज्ञानविवेकनिर्मलधियः कुर्वत्यहो दुष्करं / यन्मुंचंत्युपनोगनांज्यपि धना | न्येकांततो निःस्पृहाः // न प्राप्तानि पुरा न संप्रति पुनः प्राप्तुं दृढः प्रत्ययो / वांगमात्रपरिग्रहाण्यपि वयं त्यक्तुं न तानि दमाः // 65 / मासकटपावसाने तु / जग्मुरन्यत्र सूरयः // कणसारानगारोऽपि / जगाम गुरुभिः सह // 10 // दमादिब्रह्मपर्यंत / विधाय वरसंयमं // षष्टाष्टमतपः कृत्वा / पठित्वा च बहु श्रुतं // 11 // संसारक्लेशनाशाय / विधायानशनं तथा // वैजयंते सुरो जात / | एकजन्मा महामुनिः // 32 // युग्मं / / तनो श्रदतपूजाया-मदतादतवांछया॥ यत्नः सदैव कर्तव्यो / लोकद्वय हितैषिणा // 3 // इत्यदतपूजाकथानकं परिसमाप्तं // .. ...सांप्रतं फलपूजाया / दृष्टांतोऽयं प्रदर्श्यते // श्रूयतां सावधानेन / चेतसा पुण्य हेतवे // 1 // अस्तीह लोकविख्यातं / सोपारानिधपत्तनं // नानावृतासमाकीर्ण / रम्यारामविराजितं // // बन्वारामिकस्तत्र / फलसाराभिधानकः // सदापि सफलारंज-प्रतारामनायकः // 3 // अन्यदा च तदारामाः / सर्वे दुर्वातदोषतः // शुष्का अकांस एवाशु / न यबंतीप्सितं फलं // 4 // फलानावे. PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust