________________ धर्म- // 45 // कणसारखचः श्रुत्वा / मेघनादैः प्रजल्पितं // नो श्रेष्टिन शृणु संक्षेपा-ददातादतकारणं हो // 46 // पांचालेषु महाग्रामो / पामरैश्च कृतास्पदः // सुखनिः सर्वशस्यानां / सुसीमो जनविश्रुतः | // 4 // तस्मिन्नाजन्मदारियो / निस्सहायो निरन्वयः // पामरः पिंगलो नाम / कुटीरककृताश्रयः 204 | // 4 // कुकर्मकरणासक्तः / कुचेलः कष्टनोजनः // नित्यं परमुखप्रेदी / मुनिवत्कुदिसंबलः // // 4 // अन्यदा वेतने लब्ध्वा / शालितंमुलसेतिकां // ानीय च घटे दिप्त्वा / घटहार नि. यंत्रितं // 10 // विक्रणीया मयाप्येषा / सविशेषप्रयोजने // गतोऽसौ जिनदत्तस्य / गृहे कर्मचि. कीर्षया // 21 // अग्रे कूरं समायं / प्रेषितो जिनमंदिरे // सत्पुष्पपूजितं शांतं / सदाभरण षितं / / 52 // दृष्टं श्रीशांतिनाथस्य / वि जनमनोहरं / / तदने विलिखन दृष्टो / मंगलान्यष्ट तं. मुलैः / / 53 // अखंडास्फुटितैः सौर-नक्तितो जिनदत्तकः // पृष्टश्च पिंगलेनैष / किमेतदिति कथ्यतां // 14 // त्रिनिर्विशेषकं // कथितं झाततत्वोऽसौ / गृहादानीय तंमुलान् // लिलेख मंगलान्यष्टौ / रिजावसमन्वितः // 55 // अहो मे तंमुला धन्या / यैरयं पूजितो जिनः। एवं वि शुधनावेन / जावतश्चानुमोदिताः // 56 // बढ़ परनवायुष्कं / नोगसारं ततो गृहे // कदन्नाहा. P.P.Ac: Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust