________________ 1 धर्मः / तिलेख सविस्तरं // समर्प्य प्रेषयामास / तं नटं त्वरितैः पदैः // 11 // तेनापि शीघ्रमागत्य / रा। झो लेखः समर्पितः // वाचयामास लेख तं / स्वयमेवाथ नृपतिः // 12 // यथा देशांतरस्थोऽपि / तातायं तावको जनः // कणा अपि मदीया ये / ते सर्वेऽपि च तावकाः // 13 // गृह्यतां च यथाकामं / निस्तार्यतां जनोऽखिलः / ततस्तारपगादीनां / संमतेन महीनुजा // 14 // बहवः प्रे. पिता नष्ट्रा / धान्यानयनहेतवे // ते पत्तनं गतास्तत्र / कणसारस्य सन्निधौ // 15 // युग्मं // भृत्वा तेनापि धान्येन / प्रेषिताः शीघमेव हि // तथान्ये नष्ट्रसंघाता। बहुधान्यभृता निजाः / / // 16 // योन्योऽपि जुयांसः / प्रेषितास्तेन जूलुजे // पांचालेषु ततः सौस्थ्यं / कणसारकणैरनृत् // 17 // युग्मं // जीविताशा च संजाता / लोकानां तदनंतरं // ततस्तुष्टेन पेन / पौरखोकैः समन्विताः // 10 // प्रेषिता मंत्रिसामंता-स्तस्यानयनहेतवे // प्राप्तास्ते कणसारोऽपि / तान सन्मान्य यथोचितं // 17 // स्वकीयं सर्वमादाय / कांपिल्यपुरमागतः // जुजापि महासौ / पुरमध्ये प्रवेशितः॥२०॥ त्रिभिर्विशेषकं // दत्ता पूर्वस्थितिः सर्वा / साधिका दामितस्तथा // श्रेष्टितारप्रनाद्यांश्च / बंधन पुरजनांस्तथा PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust