________________ धर्मः // एए // मूल्येनापि यदा धान्यं / लोकैस्तत्र न लन्यते // ततोऽसौ निषधो राजा / सचिंतोऽज / नि मानसे // 100 // अहो रिधनोपेतः / कोषोऽयं मेऽस्ति पुष्कलः // परं धान्यं ममापीह / / . कोष्टागारेषु निष्टितं // 1 // ततः सर्वे समाहूता / नागरा मंत्रिणस्तथा // नक्ताश्च ते यथा नो नो। सांप्रतं किमु कुर्महे // 2 // मूख्यमस्ति न धान्यानि / क्षुधया म्रियते जनः // तदत्र चिंत्य तां कश्चि-दुपायो येन जीव्यते // 3 // अत्रांतरे गुणश्रेष्टः / श्रेष्टी तारप्रन्नोऽवदत // अहो राजन्नहं किंचि-दाख्यामि यन्मया श्रुतं // 4 // श्रूयते कणसाराख्य / उत्तरापथमंडले // ग्रामे च धान्यपूराख्ये / प्रजुतकणसंग्रही // 5 // यद्यसौ मामकः पुत्र-स्तत्कणा अपि मामकाः // अथा न्यः कोऽपि तन्नामा / तदा तल्लाजसंशयः // 6 // राजाह यदि ते पुत्रो / नासावत्र समेष्यति / / यतो निष्कासितो देशा-निर्भर्त्य स मया पुरा // 7 // श्रेष्ट्याह सत्यमेवेदं / यद्देवेन प्रजाषि| तं // तथापि प्रेष्यते कश्चि-लेखहस्तो निजो नटः // 7 // श्राव्यते च स वृत्तांतः / सर्वकणद यादिकः / / आकर्य श्रेष्टिनो वाक्यं / लुजापि तथा कृतं // 7 // गतश्च स पुमांस्तत्र / लेखस्त | स्मै समर्पितः / नबोट्य वाचितो लेख-स्तदर्थश्वावधारितः // 10 // लिखित्वा कणसारोऽपि / प्र PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust