________________ 15 धर्मः | योऽयं ते / जामाता राज्यचिंतकः // तेनाहं प्रार्थिता बाढं / विषयासेवनप्रति // 67 // विदारिता च पापेन / दारुणं नखकोटिन्निः / / कष्टेन रदितं शीलं / ब्रवीमि किमतःपरं // 67 / / श्रुत्वेदं त. दाणादेव / निष्क्रांतोंतःपुरान्नृपः // कणसारं समाहूय / तेन निर्सितो यथा // 6 // रेरे पुष्ट दुराचार | महापापाधमाधम // किमन्या निष्टिता मूढ / रूपवत्यः कुलस्त्रियः // 70 // महारानपि येन त्वं / नैवं त्यजसि मूढधीः // तब गब मे दृष्टि-मार्गादपि पुरादपि // 11 // देशोऽपि मा. मकस्त्याज्यः / को दृदयति मुखं तव // नामापि श्रूयते नैव / यत्र तत्र व्रजाधुना // 7 // प्रसाद इति संजटप्य / कणसारोऽपि सत्वरं / / प्रणम्य जुलुजः पादा-वपमाननरेरितः // 73 / / समुबाय ततः स्थाना-देकाक्येव विषादवान् // अनाख्यायैव बंधूना-मुत्तरानिमुखं ययौ // 14 // युग्मं // पूर्व मित्रसमो नृत्वा / पश्चात्रुसमोऽजनि // नरेंद्रः कणसारस्य / राज्ञां मैत्री स्थिरा न हि // // 79 // यतः-काके शौचं द्यूतकारे च सत्यं / सर्प दांतिः स्त्रीषु कामोपशांतिः॥ क्लीवे धैर्य मद्यपे तत्वचिंता / राज्ञां मैत्री केन दृष्टा श्रुता वा // 6 // नानानगनदीकीर्ण / नानाग्रामपुराकुलं // परिनाम्यन्महीपी / स संप्रापोत्तरापथं / / 3 / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust