________________ धर्मः / ते // तदेदं यौवनं रूपं / नरजन्म च निष्फलं // 44 // विचिंत्यैवं तया दासी / प्रेषिता तस्य स. निधौ / / पृष्टा तेन यथा न / निवेदय प्रयोजनं // 45 // तयोक्तं चंद्रकांताया / देव्याः शरीर कारणं // तदेहि सत्वरं देवी / प्रतिजागर्यतामिति // 6 // श्रुत्वेदं कणसारोऽपि / चंद्रकांतांतिक 153 गतः // प्रणम्य भणितं तेन / किमंब बाधते तव // 9 // तयापि प्रकटं चैव / हावजावपुरस्सरं // उक्तः समंथरैर्ने त्रैः / सर्वांगं वीक्ष्य लीलया // 4 // यथेदं मामकं देहं / संतप्तं कामवह्निना // वांगसंगजलप्लावै-स्त्वं निर्वापय सांप्रतं // 4 // // मदीयां प्रार्थनामेनां / सर्वथा माकृथा वृया // नियेऽहमन्यथा नाथ / त्वहिरहामिपीमिता // 20 // श्रुत्वेदं कणसारोऽपि / ब्रूते खेदवशं गतः // मामाजाणि च यनिंद्यं / मातरेवंविधं वचः // 59 // यन्मनसापि नो चिंत्यं / लोकयविरोधकं // तत्कथं त्वयका पापं / वचसा प्रकटीकृतं // 25 // प्राणत्यागेऽपि नो कर्म / करिष्याम्यहमीदृशं / तदंब मुंच गगमि / किं वृथा बहुजल्पितैः // 53 / / एवमुक्त्वा गतस्तूर्ण / कणसारो निजाश्रयं / सापि तंप्रति सावेशा / जाता मत्सरिणी दृढं // 24 // अथ कालेन दिग्यात्रां / कृत्वायातो नराधिपः / प्रविष्टश्च पुरे तुष्टः / क्रमाच निजमंदिरे / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust