________________ धर्म: | घातिचतुष्टयं // उत्पाद्य केवलज्ञानं / जगाम परमं पदं / / 75 / / युग्मं // सर्वझपुरतो दत्तो / दी. पो नावपुरस्सरं // लोकहयेऽपि संसूते / सत्कल्याणपरंपरां // 16 // इति दीपपूजाफलं समाप्तं // .. दीपपूजाफलं प्रोक्तं / लोकध्यसुखावहं // संप्रत्यदतपूजायाः / श्रूयतां कथ्यते फलं // 1 // 170 | पंचालविषयस्यांतः / पुरं कांपिव्यसंज्ञितं // तत्रासीनिषधो नाम / राजा सर्वजनप्रियः // 2 // ता. स्प्रनानिधः श्रेष्टी / पुरकार्यविचिंतकः / / समग्रनैगमग्राम-ग्रामणी राजसंमतः // 3 // तारपना प्रिया तस्य / शशांकस्येव रोहिणी // स्त्रीजनोचितनिःशेष-कलाकौशलशालिनी // 4 // तारणजस्तया साध / चुक्ते विषयजं सुखं // चिंतानंतरनिःशेष-पूर्यमाणमनोरथः // 5 // श्रन्यदा प. श्चिमे यामे / यामिन्यास्तल्पशायिनी // स्वप्ने शुनमिदं स्वमं / तारपना समैदत // 6 // यथा मे सर्वतो गेह-माकीर्ण कणराशिनिः // कोष्टागाराणि सर्वाणि / कणैः पूर्णानि नात्यलं // 7 // प्रबुछा च समुबाय / गत्वा नर्तृसमीपके // यथा दृष्टं तथा सर्व / तुष्टा तस्मै न्यवेदयत् // 7 // तेनानाणि प्रिये श्रेष्टः / पुत्रस्तव भविष्यति // सर्वलदाणसंपूर्णो | वृधिकृत्सर्वसंपदां // 5 // सत्यं | नवतु ते वाक्य-मित्युक्त्वा हृष्टमानसा // जगाम निजकस्थाने / दधौ गर्न यथासुखं // 10 // PP.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust