________________ टीका धर्मः | भानुप्रननृपांतिके // 16 // कुशलं तस्य तातस्य / चारुकी तैर्महौजसः / कुशलं यशसा ताव-न / प्राणैः दाणभंगुरैः // 17 // श्रुत्वेदं शोकसंभार-ब्रांतचेता महीपतिः // न विवेद सुख दुःखं / जीवितं मरणं तथा // 10 // मूर्गते लब्धचैतन्यः / प्रश्नयामास सादरं // सुखमास्ते सदाकालं / कालश्रीः श्रीविापरा // 15 // पुरे राज्ये धने धान्ये / नांडागारे च रोधने // सिंहविक्रमराजस्य / / वर्तते कुशलं ननु // 20 // पुरुषाः प्राहुः नानुकूलाः प्रजास्तस्य / नृपा न वशवर्तिनः // प्रता पः सुसहस्तस्य / घनबन्नरवेखि // 21 // तस्करास्तरलायंते / हन्यते प्रांतमयः॥ किंबहुना वि. चारेण / सर्व राज्यं विसंस्थुलं // 22 // तदधिष्टीयतां शीघ-मागत्य पैतृकं पदं // प्रजाश्चिरंतनं पादि / मूलनाशो न संगतः // 23 // श्रियोऽपि ता न शस्यंते / दृश्यंते या न सज्जनैः // तत् श्रुत्वामर्षितश्चित्ते / शरविडोव केसरी // 24 // जघान जूतलं मुष्ट्या / खने दृष्टिं ददौ च सः // देवो वा दानवो वापि / खेचरो ऋमिगोचरः // 25 // यः करोति पराभूति / सिंहविक्रम ननुजः // किं तस्य विस्मृतो मृत्युः / कुबुध्विा विजूनिता // 26 // युग्मं // | . दूरस्थोऽपि समासन्नः / किं नाहमवलोकितः / / निश्चक्राम धराधीशो / लमे गणकसूचिते // . P.P.AC.GunratnasuriM.S. . Jun Gun Aaradhak Trust