________________ धर्म स्थिरमानसाः // शरं कृत्वा समायाताः / प्रवृत्तो दारुणो रणः // 6 // रथस्थेषु गजस्थेषु / वाजिः | दीका स्थेषु पदातिषु // पतत्सु सत्सु सर्वत्र / संकीर्णाजनि मेदिनी // 7 // गजस्कंधात्समाकृष्टो / गृधे. व भुजंगमः // न ज्ञायते गतः कापि / कीर्तिधर्मो नराधिपः // 7 // दत्वावस्वापिनी निद्रां / 12 शायितं सकलं बलं // अस्तं गते खौ रात्रौ / यथा पद्मवनं तथा // 7 // तारा समागता दृष्टं / शानुप्रनविचेष्टितं // प्रतिविद्याविधानेन / नष्टनिद्रं समुचितं // 10 // कीर्तिधर्म न पश्यति / येन साध समागताः // तारया कथितं सर्वं / तेभ्यस्तस्य च चेष्टितं / / 11 // .. ततो. विरक्तचित्तस्तैः / प्रधानैः प्रतिपादितं // जानुप्रजकुमारोऽयं / तस्य स्थाने निवेश्यतां // // 12 // तारया गणितं नंद्राः / कुरुध्वं स्वसमीहितं // कृतस्य करणं नास्ति / कालक्षेपो न सं. गतः // 13 // श्रीविलासपुरे नीतो / राजामात्यपुरस्सरैः / कीर्तिधर्मपदे राज्ये / स्थापितो वरमंग: लैः // 13 // राज्ये स्वचिंतका मुक्ता-श्चंद्रशेखरसूरयोः // सर्वाः कन्याः परिणीताः / समानीता निजांतिके // 14 // त्रिराज्याधिपतिर्जात / नत्खातप्रतिरोपितान // कुर्वन्नशेषपालान् / गमया: मास वासरान् // 15 // पितृसत्काः समायाता / एकदा पुरुषा वराः / / मंत्रिनिः प्रेषिताः संतो।। P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust