________________ धर्मः | कोऽपि / कामदेव श्वापरः // 4 // निषेदुषः पतत्यस्य / ननसः सिंहविष्टरं // शिरोपरि धृतं याः / ति / उत्रमस्य नरं विना || एए // सव्येतरविन्नागे च / लुलतो वरचामरे // नरं विनापि तस्यैते / / जीवद्भिः किं न दृश्यते // ए६ // अवांतरे समायाता / यो षैका कांतदर्शना // कृतानि मंगला१०१ न्यस्य / सर्वाण्यपि तयांजसा / / ए9 // प्रणम्य जणिता तेन / मुंच मामंत्र सांप्रतं / तयोक्तं की. तिधर्मस्य / राज्ये त्वमन्निषिच्यसे // 5 // इतश्च पंचमेऽह्नि त्वं / निश्चलीकुरु मानसं // मात्व. रिष्या गरिष्टत्व-मित्युक्त्वा सा तिरोदधे // एए // युग्मं // वयमप्येतदाकार्य / भीतनीता जुतं पुतं // युष्मत्समीपमायाता / पाननोजनवर्जिताः // 300 // कथितं स्वामिने सर्वे / यथा दृष्टं य. | था श्रुतं // अासन्नं व्यसनं देव / ह्युपायः कोऽपि चिंत्यतां // 1 // कीर्तिधर्मोऽपि तत् श्रुत्वा / च. तुरंगबलान्वितः // नगरान्निर्गतः क्रोधा-तः शालाटवींप्रति // 2 // दिवा रात्रौ च वेगेन / ह्यखमितप्रयाणकैः // तारासरःसमासने / तारारामे कृतस्थितिः // 3 // बारामे च कृतावासं / कीर्तिधर्म विलोक्य सः // चचाल समरापेदी / सिंहो गजघटां यथा // 4 // रे रे गृह्णीत शस्त्राणि / | प्रगुणीजव सांप्रतं // सुप्तमत्तप्रमत्तेषु / न प्रहारं करोम्यहं // 5 // एकाकिनं तकं दृष्ट्वा / निर्नीकाः Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.