________________ धर्म | रोति. पुण्यात्मा / सावोचत् श्रूयतां प्रिय // 3 // सरःपालीनिकुंजेषु / सिझविद्या ननश्चराः॥ अ.। टीका | ष्टाह्निकां महापूजां / चक्रुरत्र कृतादराः // 4 // गम्यते दृश्यते पूजा / कीदग्विद्याधरो जनः // कीदृशं वादितं तस्य / गीतं नृत्यं च कीदृशं // 5 // तयोक्तं कांतकायस्त्वं / एकाकी भूमिगो. चरः // मानर्थः कोऽपि जायेत / तेन यानं न संगतं // 6 // हितेयं संगतं ब्रूते / संत्रस्तमृगलोचना // न जगाम स्थितोऽत्रैव / नीतिमान कमलाशयः // 7 // श्तश्व कीर्तिधर्मेण / नक्तं स्वप्नोऽवलोकितः // सिंहासनादहं ब्रष्टः / पतितो मेदिनीतले / / // // स्वयं शंकितचित्तेन / गणकाय निवेदितं // तेनापि जणितं शीबूं | उत्रभंगो चविष्यति // ए || स्वप्नो न संगतो जाति / न स्यादस्यानृतं वचः // दृढधर्मोऽपि नायाति / नेदं क. व्याणकारणं // 30 // याप्सनराः समाहृताः। शिदयित्वा विसर्जिताः॥ शालाटव्यां पुतं यात / दृढधर्मगवेषणां // 1 // कृत्वा सर्वत्र भूयोऽपि / समागबत सत्वरं // न जाने तस्य किं वृत्तं / साशंकः मम मानसं // ए॥ युग्मं // गतास्ते तत्र सर्वत्र / कृता तस्य गवेषणा // न दृष्टो दृष्टः मेकत्र / निर्मासमस्थिपंजरं // 3 // तारासरःसमासन्ने / कांतकांतासमन्वितः // दृष्टश्चैको युवा Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasur M.S.