________________ धर्मः | दिधर्मकर्तारं / तुष्टुवे तुष्टमानसः // 11 // युगादिजिन योगीश / योगिगम्य निरंजन // रागद्वेषमहामोह-मुक्तमूर्ते नमोऽस्तु ते // // 73 // अद्यैव सफलं जन्म / यौवनं जीवितं च मे // शांता कांता शिवा सौम्या / यन्मूर्तिस्ते. 117 ऽवलोकिता // 14 // एवं देवं नमस्कृत्य / युगादिजिननायकं // मंझपस्थे ततस्तस्मिन् / देव्यः प्रे दां प्रचक्रिरे // 15 // प्रगीतं किन्नरैगीतं / वादितं व्यंतरैः सुरैः / प्रनृत्तं वनदेवीनि-हविगावपुरस्सरं // 76 // प्रणम्य परमात्मानं / दत्वा नीवी दिलदिकां // स्वस्थानं च गताः सर्वे / प्रमोद नरनिर्भराः / / 77 // माता विसर्जिता स्थाने / वनदेव्योऽपि तथैव च / / स्वयं तारानिरोधेन / त त्रैवासांचकार सः // 7 // तारासरःसमुद्त -पयःपालीष्वनारतं // वनेषु वनखंडेषु / ह्युद्यानारामचमिषु // 9 // तारा जिनगृहे चक्त्या / नृत्यत्येणामुखी सदा // वीणां च वादयत्येष / सु. ग्रामस्वरमूनं // 70 // एणामुख्या समं तस्य / क्रीडतो यांति वासराः // दणात्सौख्यं दणाद्ः खं / करोति विधिरंगिनां // 1 // नक्तं स्वकांतया सार्धं / सुप्तः शुश्राव सुस्वरं / / वीणावेणुमृदंगा| नां / गीतं च श्रुतिकोमलं / / 75 // कांते कोऽयं जनो धन्यो / जिनस्याग्रे मनोरमां // प्रेदां क PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust