________________ धर्म- दयमत्रापराध्यति // 60 // सर्वदैव सलोयं / दोषादोषं गुणागुणं // नैव जानात्यतस्तुन्यं / नाः | नया दत्तमुत्तरं / / 61 // शरदबसमानानि / मनांसीह मनम्विनां // बहिरुष्णानि कार्येण / मध्ये | शीतानि सर्वदा // 6 // कन्यकैणामुखी नाम / प्राणेभ्योऽपि मम प्रिया // सा तुन्यं दीयते वत्स 177 | / वाक्यं मे मा वृथा कृथाः // 63 // यत्रांतरे समायाता / सुतारा नाम देवता // दृष्ट्वा जानुप्र नं पुत्रं / रुकंवं रुरोद सा // 64 // कृत्वोत्संगे समाधाय / पुत्रं मूर्ध्नि मुहुर्मुहुः // सुतारोवाच हे वत्स / कुशलं ते शरीरके // 65 // सर्वत्र कुशलं मात-र्मा का र्दुःखितं मनः // सुखदुःखानि सर्वेषां / समीपस्थानि देहिनां // 66 / / आतिथेयं समासाद्य / तारातो झुचितं ततः // सौजन्य वर्धितानंदा / सुतारा मुमुदेतरां / / 67 // परस्परं समालापो / जातस्तारासुतारयोः // कृता विवाह सामग्री / मिलिता वनदेवताः // 6 // जानुप्रनकुमारेण / प्रशस्ते तिथिवासरे // एणामुखी वि. धानेन / परिणीता मुदा तदा // 6 // // कोटिशः स्वर्णरत्नानि / वरवस्त्राणि कोटिशः॥ दत्तानि वनदेवीन्निः / सर्व हि महतां महत् // 30 // ततो गताश्च सर्वे ते / मिलित्वा जिनमंदिरे // पू. जा कृता विधानेन / विधाय जिनवंदनं // 1 // नानुप्रनः पुरोज्य / प्रमोदनरनिर्भरः // युगा. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust