________________ धर्मः | रस्था सांप्रतं लज्जा / पुःख निपतितं मम // 4 // क यामि कुत्र तिष्टामि / परित्राणं कुतो नः / 1. वेत् // मनो मेऽपहृतं तेन / कायस्तिष्टति केवलः // 10 // वने जाता वने चुक्ता | वने वृधिमु. | पागता / कुतोऽस्या ईदृशो जावः / प्रादुर्घतो ह्यशिदितः // 21 // ससंत्रमं समागत्य / मया पृ. 177 या पुनः पुनः / / बाधते किं शरीरे ते / रुद्यते किं पुनः पुनः // 12 // एवमापृच्छ्यमानापि / रु. दत्येव हि केवलं // नाचष्टे कारणं किंचि-ततोऽहं मौनमाश्रिता // 23 // सामान्येन मया झा तं / दृष्टः कोऽपि युवानया // निनिमित्ता न जायते / नावाः कामसमुनवाः // 14 // वत्से चिं. ता न कर्तव्या / चिंतेयं मम सांप्रतं // तथा तथा करिष्यामि / सुखितासि यथा यथा // 25 // ततश्चेदं समाकर्ण्य / निपत्य मम पादयोः। स्नाता जुक्ता प्रतीता च / रेमे च हरिणैः सह // 16 // | इतश्चेतो गवेषंत्या / ग्रामेऽरण्ये जले स्थले // न. दृष्टो न श्रुतः कापि / विफलो मे परिश्रमः // // 7 // अद्य सुप्तो मया दृष्टो / वत्सायां पुरि मंदिरे / / चंऽशेखरराजस्य / तरूपेऽस्याश्च मनो. हरः // 50 // गते यामे च यामिन्याः / सुप्ते परिजनेऽखिले // दत्वापस्वापिनी विद्या-मानीतो. ऽसि मयाधुना // 17 // वत्स खेदो न कर्तव्यो / ह्यवज्ञातोऽहमेतया // अज्ञानमथवा लज्जा।। Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.