________________ धर्म- दुः सुतरां नृपाः // 14 // सूरेणापि निजं राज्य–मपुत्रेण समर्पित // नानुप्रभकुमारस्य / चतु. का रंगबलान्वितं // 15 // निःसंतानो गतानंदः / सुरः संहृतविस्तरः // न केवलं तपस्तेपे / शिश्रिये च तपोवनं // 16 // गीतनृत्यविनोदेन / रजन्याः प्रहरे गते // मुप्तो हर्म्यतले रम्ये / तल्पे स. 174 गिकोमले // 17 // प्रनाते च प्रबुछोऽसौ / प्रासादशिखरस्थितं // पश्ययात्मानमत्रस्तः / किमे. तदिति विस्मितः // 10 // न तत्सौधतलं रम्यं / न तटपं तूलकोमलं // सुवत्सा नगरी नैषा / न कांताः कमलेदणाः // 17 // एवं तर्कपरो याव-दास्ते जानुमदंगजः // तावत्तारा समायाता / देवता तत्र वासिनी // 20 // मातः का वं वने शून्ये / प्रासादः केन कारितः // उद्यानं च कृतं केन / कस्य कीर्तिसरोवरं / / 21 / केनेदं कास्तिं रम्यं / मंदिरं मदनहिषः / / चराचरजगबंधोन नेयस्य महात्मनः // 15 // सापि वक्तुं समारेभे / बाष्पांजोभृतलोचना // ताराहं वनदेवीह / प्रासादोऽयं मया कृतः // 23 // सरश्च जलसंपूर्ण / कलोलालिविराजितं // युगादिजिननाथस्य / मंदिरं च मया कृतं / / 24 // बारामोऽपि मयाकारि / नानावनविराजितः / / पूजार्थं पूजनीयस्य / | वृषस्य जगजुरोः // 25 // गणितं च कुमारेण / यतस्त्वं वनदेवता // खबंदचारिणां कार्य / PP.AC.Gunratnasuri M.S.' Jun Gul Aaradhak Trust