________________ धर्मः | सूरश्रियं समादाय / दासदासीसमन्विता // नपयाचितदानार्थ / पूर्वमेव त्वहं गता // 1 // दूर / स्थभैरवीगेहे / कृतस्तत्रैव जागरः // प्रचाते चलिता यावद् / दृश्यते नार्कममलं // 7 // हृदया। न्यपि दीर्यते / शिवानां फारफेत्कृतैः // वचो न श्रूयते तत्र / घूकानां घोरघूत्कृतैः // 3 // न 171 | प्राकारो न वेश्मानि / न च देवकुलानि च // दृश्यते हेतुना केन / किं वा मे मतिविन्रमः // // 5 // चिरं निरीक्ष्य सत्रास / कुंतलेन प्रजटिपतं // न नगररोधोऽयं / लक्ष्यते शत्रुणा कृतः // 5 // सूरश्रियं समादाय / गम्यते न विलंब्यते // तथैव कृतमस्मानि-रहमत्र समागता / // 6 // शेषः परिजनः सर्वः / कोऽपि कापि विसर्जितः // कंचुकी कुंतलो वृक्षो / जटानारधरः कृतः // 7 // दासीकुदीसमुद्तौ / दासौ कपिलकेरलौ // अव्यक्तलिंगिनी जातौ / परानीके विचेरतुः // 7 // सर्वत्र तत्र तौ ब्रांत्वा / झात्वा वार्ती च शात्रवीं // दिने दिने समागत्य / क. थयामासतुर्मम / / नए // ___एवं करोति सा याव-स्ववृत्तांतनिवेदनं // जानुप्रनकुमारस्य / पुरतः प्रीतमानसा // 10 // तावत्तूर्णपदैर्धावन् / श्वाससंपूरिताननः // वृधांतिके समायातः / कंचुकी कुंतलानिधः // 1 // यु. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust