________________ धर्मः अझस्तव नृपो दुत / नवानपि न कोविदः // न्यायेन लन्यते कन्या / तत्रापि गुणसंपदा // 6 // अर्धचंडं गले दत्वा / दुतो निष्काशितो पुरात् // गत्वा तेनापि सूराय / सविशेषं निवेदितं // | // 70 // श्रुत्वा दृतवचः सूरो / दिदीपे क्रोधवह्निना // विधाय सर्वसामग्रीं / चचालोधुरकंधरः // 170 | // 11 // अचिरादेव संप्राप्तः / सुवत्सां सूरपार्थिवः // चंडशेखरभूपोऽपि / नोपसर्पति मानतः // // 15 // बहिः स्थातुं न शक्नोति / योध्धुमल्पबलो यतः / / दग्धतृणेधनो मानी / विनाशितज लाशयः // 73 // जलेंधनतृणादीनां / प्रवृतकृतसंग्रहः // पूर्वव्युबिन्न नपाल–संधानकरणोद्यतः // 14 // मध्यस्थकूपवाप्यादि-संशोधितजलाशयः // शूरसामंतमंत्र्यादि-साथै रदितगोपुरः / / // 79 // प्राकारशिखरासक्त-शिलाशतसमाकुलां // यंत्रस्थटोलपाषाण-पातचीतारिपौरुषां // // 16 // प्राकारासन्नविस्तीर्ण-खातिकांनःसमाकुलां // जात्याश्वहेषिताराव-भृतांबररसातला // // 9 // निरुधजनसंचारां / उप्रवेशविनिर्गमां॥ सुवत्सां नगरौं कृत्वा / प्रतस्थे चंद्रशेखरः // 7 // कुलकं // सुरोऽपि पर्वताकारै-मदमत्तमतंगजैः // प्राकारपातनायाथ / सन्नधः सपरिबदः / / 7 / / सुवत्सा वेष्टिता तेन / परितो मत्तवारणैः // वाजिनिः स्यंदनैः सारैः / पादातैर्गुरुविक्रमैः // 70 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust