________________ टीका नृपनंदनं / धर्मः रिय वैरिणं // 46 // विधाय विकृतं रूपं / संवर्य च ननस्तले // जुजपंजरमध्यस्थं / कृत्वा च | नृपनंदनं / / 47 // गत्वोज़ नगसा सापि / चलिता दक्षिणां दिशं // समुद्रे प्रदिपाम्येन-मि ति वुड्या कदाशया॥ 4 // हता खाप्रहारेण / मूर्ध्नि जानुप्रनेण सा // मुक्त्वा खिन्ना कुमारं च 160 / गता विद्या यथागतं // 4 // कुमारोऽपि नगोमार्गा-त्पतितो निम्नगाजले // ततार तारबाहु ज्यां / नदीमदीनमानसः // 50 // विश्रम्य च नदीतीरे / कंदमूलकृताशनः // अजानानो दिशा जागं / स चचालैकया दिशा // 21 // . स्तोकांतरं गतेनाथ / ददृशे वंशजालिका | द्वारदेशसमासीना / स्त्री दृष्टा गतयौवना // // 5 // निरुपदसंचारा / तस्तमुग्धमृगेदाणा // दृष्टैका कन्यका मध्ये / लावण्यामृतसारणी॥ // 53 / / उपसृत्य कुमारेण / प्रणम्येदं प्रजापितं // का त्वं च केन कार्येण / दृश्यसे जयविह्वला // 54 // केयं मध्यस्थिता कन्या / कः प्रदेशोऽयमुच्यतां / / न जानेऽहं महानागे / तेन पृहामि कथ्यतां // 55 // अथ वृछा पाह-श्तो योजनमात्रेण / वत्साविषय ऋषणा // सुवत्सास्ति पुरी | तत्र / नरेंद्रश्चंद्रशेखरः // 56 / / चंद्रलेखा महादेवी / रूपसौजाग्यचाजनं // सर्वाणी शंकरस्येव / / PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust