________________ धर्म- किता नदीतीरे / तरुण्याः पदपतिः // 3 // गतः स्तोकांतरं याव-त्पदलमो नृपांगजः // दृष्टा / टीका लतागृहस्यांत-श्चतस्रो राजकन्यकाः // 24 // द्वारस्थारक्षिका चैका / खगहस्ता निरीक्षिता // विकोशासिकरा कांता / मृगादी नवयौवना // 25 // नन्वेका सैव लोलादी / यदर्थ बंबमोम्यहं // पृजामि किं विकटपेन / प्रविष्टश्च लतागृहे // 26 // जानुप्रनेण सा पृष्टा / किं वं कनकसुंदरी // सापि तां रविकां दृष्ट्वा / रुदत्येव न जल्पति.॥ 17 // रदिकापि विमुच्यासि / समारूढमनोचवा // प्रोवाच कुमरं वाक्यं / वेपमानांगयष्टिका // 2 // संकाससिंहसूराणां / पुत्रिका धरणीनुजां // सुंदरी मदना तारा / तिस्रस्तरललोचनाः // 25 // एषा च पुनरत्रैव / सुखमुप्ता लतागृहे ॥र. तिग्रहाभिधानेन / जात्रा मेऽदात्रकारिणा // 30 // श्रानीतास्ता गतः सोऽपि / वैताढये निजकार्यतः // मां विवाहसामग्री / संपूर्णा किं न पश्यसि // 31 // युग्मं || करग्रहं कुमारीणां / कुरु त्वमनिसादिकं // विधेहि धीर विश्रब्धं / पंचमी मां चतसृणां // 3 // सर्वासां संमतं ज्ञात्वा / कुसारेण विवाहिताः / संक्षेपेण कृतं सर्व / पाणिग्रहणमंगलं / / 33 / / अत्रांतरे समायात-स्तत्र वेगाननश्वरः / / लतागृहाहिनिर्गब-निबधनवकंकणः // 34 // | P.P.AC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust