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________________ धर्मः | प्रकाशितं // 7 // अखंडवनखंडेन / शश्वज्यामायमानया // यदवशुज्रया पाल्या / परितः परि. - वेष्टितं // 7 // लावण्यजलसंपूर्ण / चरमण्या मनोहरं // नाभिहृदमिवाभाति / वृत्तं गंजीरमुज्ज्व लं // 5 // दिशावधूकुमारीणां / मुखालोकनहेतवे / वेधसा निर्मितं मन्ये / विशालमिव दर्पणं // 0 // देवनद्याः पयःपूर-रसानलप्रवेशने // दारमिव शशांकस्य / ज्योत्स्नेव जुवमागता ||1|| ग्रहनदात्रयुक्तेन / नक्तमतः प्रसर्पता // खन्नताप्रार्थनाहेतो-योग्नेव कृतसेवनं / / ए // रक्ताशो. कसमुद्ऋत-पल्लवैः प्रतिबिंबितैः / / मांसखमधिया धाव-न्मुग्धमी नैर्विराजितं / / 53 // तटस्थजलसंक्रांत-पूगीफलमहीरुहैः // चलजितिसंपर्का-सपैवि जयंकरं / ए४ // स्फाटिकानिरदभ्राः | जि-निश्चिद्रागिः समंततः // निर्मलानिर्विशालाग्निः / शिलाजिनित्तिकं // 55 // नित्तेरु / परि उर्खद-संधिबंधैः सुनिर्मलैः // निवघ्वेदिकं शुभ्र-चंद्रकांतशिलातलैः // ए६ // वेदिका लमखर्जूर-नालिकेराम्रकेतकैः // पुंनागहिंगुहिताल-तालपूगैर्विराजितं // 3 // सुगंधगंधिजिः साई-बकुलै राजचंपकैः // धूलीधाराकदंबैश्च / सर्वतः परिवेष्टितं // 7 // प्रधाननागवल्ली| नां / दादाणां च मनोहरैः // आश्व सरसैः पत्र-मैमितं वरमंझपैः // एए // नानानारंगजंबी. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036436
Book TitleDharmratna Karanda Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1915
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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