________________ धर्म: द्यावं गृहाण मे // दत्वा यजरुदक्षिणां / योगशुहिं करोम्यहं / / 76 // अकार्ये च प्रवृत्तोऽहं / / | त्वया नूनं निवारितः // तेन त्वं मे गुरुर्जातः / प्रार्थनां मावजीगण || 99 // नपरोधगृहीतेन / गृहीतं तेन तद् ध्यं // गतो भैरवकापाली / पृष्टा तेनाय कन्यका // 70 // का त्वं वा तनया क१६२ स्य / संप्राप्ता व्यसनं कथं // जानुपजकुमारस्य / नाम किं वा स्मृतं त्वया // // तयोक्तं पुत्रि का श्रीम-सिंहलाधिपनपतेः // संजाता कनकश्रीतो / नाम्ना कनकसुंदरी॥ 70 // गीतनृत्य विनोदेन / रजन्याः प्रहरे गते // रम्ये हर्यतले सुप्ता-त्रानीताई कपालिना // 1 // विद्यासिः धिकृते पापो / मां मारयितुमुद्यतः // जानुप्राश्च मे जर्ता / कथितो मुनिना पुरा // 2 // कु मारेणापि तुष्टेन / तया पृष्टेन मूलतः / / नामांतो निजवृत्तांतः / संक्षेपेण निवेदितः // 73 // ए. हि सुंदर कांतारा-त्तारयामि महाजयात् // इत्युक्त्वा चलितः पूर्वी / सापि तत्पृष्टतः स्थिता // // 4 // दणांतरेण सा ब्रूते / प्रियात्यंत पिपासिता // व्यक्तं वक्तुं न शक्नोमि / तृषा शुष्यति तालुकं // 5 // श्रामलकफलं दत्वा / समाश्वास्य पुनः पुनः // नीता स्तोकांतरं तेन / बुदि | ला पिपासिता // 6 // अत्रांतरे महानोगं / सीतवातेन सूचितं // हंससारसचक्रादि-कूजितेन | PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust