________________ धर्मः | मरिष्यसि // 6 // त्वं चर्ता में समादिष्टो.। मुनिना दिव्यचक्षुषा // यशःप्रमेण तस्यापि / वचनं किं वृथा भवेत् // 65 // अहो निर्मानुषा पृथ्वी / नूनं वीरविवर्जिता॥ अन्यथा पापपाखझी। क| थं मां मारयत्ययं // 66 // एवमुक्त्वा जयत्रांता / मुक्तकंठं रुरोद सा // हृदयान्यपि दीर्यते / यत् श्रुत्वानार्डचेतसां / / 67 // जो जो जीरु न नेतव्यं / मा रोदी लोललोचने // यमजिह्वाप्समो या. वत् / खगो में दक्षिणे करे // 6 // इति जल्पस्तदंतेऽसौ / खाव्यग्रकरो गतः // इदं निशम्य / कोपांधः / कापाली नखान्निधः // 6 // // धावितः खम्मादाय / रुष्टो नानुप्रनंप्रति / / पर्यंतो जी. वितव्यस्य / स्मर रे पितरौ निजौ // 30 // रे पाप पापबुधिस्ते / केन दत्तेयमीहशी // इत्युक्त्वा वाहितः खको / भैरवेण नयंकरः // 11 // त्रिनिर्विशेषकं // लब्धलक्षेण दक्षेण / कुमारेणापि वंचितः / / गृहीत्वा पादयोस्तूर्ण / मस्तकोपरि धूनितः // 12 // नैरवेण चयादचे / तुष्टोऽहं त्वं च मुंच मां // गृहाणेमां महाविद्यां / शकसंमोहकारिणीं // 13 // श्मा चानेकरूपाणां / वत्दाणं करणंदमां // विद्यां गृहाण येनाहं / कृतकृत्यो जवाम्यलं // 14 // मुक्तो मौ कुमारेण / दामि| तोविनयं निजं // नणितश्चेदृशं कर्म / कर्तुं तव न संगतं // 35 // स प्राहानुग्रहं कृत्वा / वि. PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust