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________________ धर्म | गिकापालिकादयः // 53 // जानुप्रयकुमारस्य / मरणं यः कुरुते नरः // तस्य लदं पुनर्लदाँ / द. दामीत्यनिधाय च // 55 // समायाताः पुरि सर्वे / मारणोपायतत्पराः // अलक्षिताश्च लोकेन / पापा बेमुरितस्ततः // 55 // जानुश्रीः पुनरायाता। कुशलान्वेषणाय च // कृता रदा शरीरस्य / निहता दुष्टचेतसः // 16 // गता योऽपि जानुश्रीः / स्वस्थानं हृष्टमानसा // नानाक्रीमनकैः की. मन / कुमारस्तत्र तिष्टति // 7 // अथैकदा कुमारौ तौ / नानुप्रभमणिप्रचौ // जात्याश्वयोः समारूढौ / चलितौ बलवेष्टितौ // // 17 // दुरं गत्वा निवृत्तेषु / शेषवाजिषु सत्वरं / सुदुर गंतुमारब्धो / जानुप्रचतुरंगमः // 27 // वलगां करदयेनोच्चै-राकर्षति यथा यथा // तथा तथा च गृह्णाति / वेगं दुष्टतुरंगमः // 6 // प्रवेशितो महाटव्यां / मुक्ता वट्गा स्थितो हयः // समुत्तीर्णः कुमारोऽपि / वाजी पंचत्वमागतः / / // 61 / / बुदितस्तृषार्तश्च / परिभ्राम्यन्नितस्ततः // कंदमूलकृताहारः / पीत्वा च समलं जलं // // 6 // सखेदः श्रांतसवीगो / विश्राम्य च तरोरधः // शृणोत्यतीवदीनानि / वचांसि रुदितानि | च / / 63 / / युग्मं / / जानुश्रीकुदिसंवत / जानुप्रन महाप्रनो / / मुंच मे मंदनाग्याया / हृदयं मा | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036436
Book TitleDharmratna Karanda Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1915
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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