________________ टीका धर्म | र्थः परोपकाराय / ददता धर्मकर्मणि // प्रयत्नपरता नित्यं / व्रतशीलादिरदणे // 7 // स्वगुणाविः | कृतौ लगा / सौहार्द कारणं विना // एते गुणा विलोक्यते / यस्मिन्निवसतां सतां // ए // त्रि. | निर्विशेषकं // अस्त्यैश्वर्यवतां धाम / तत्र जानुमती पुरी // जानवाया प्रजा यत्र / पताकानिर्नि: 156 षिक्ष्यते // 10 // रत्नभित्तिषु संक्रांत-संचरऊनमूर्तिभिः // सजीवानीव लदयंते / चित्राणि गृ. हन्नित्तिषु // 11 // प्रसर्पत्तारतेजोनि-हाटकामलसारकैः / राजमार्गा. विराजते / यत्र सर्वझमदिरैः // 12 // संचारदीपिका यस्यां / भवंत्याचरणप्रजाः // प्रियवेश्मप्रयातीनां / रजन्यां रम्ययो. पितां // 13 // तस्यामजान राजेंद्रो / जानुमान जुवनप्रियः // यस्य वक्रे स्थिता वाणी। लक्ष्मीः ख व्यवस्थिता // 14 // सन्नप्यन्यायशब्दो यो / लुप्तो येन बलात् दितौ // श्तीव नैव यत्रासीदन्यायो न्यायशालिनि // 15 // अथ तस्य प्रजेशस्य / प्रजाक्षेमविधायिनः // बव रिशृंगारा / जानुश्रीरिति गेदिनी // // 16 // नीत्या लदम्या च पालो / नैवारमत केवलं // जानुश्रियापि साधे, स / रेमे राजा य थोदणं // 17 // अजायत महादेव्याः / पुत्रो नानुप्रजागिधः // निजतेजःश्रिया येन / जानुमा PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust