________________ 155 धर्म- खर्गे जग्राह वैक्रियां // 1 // युग्मं // देवलोकात्समागत्य / नृत्वा च नृपनंदनः // विधाय निर्मः | कालां दीदां / संप्राप्य वरकेवलं // 7 // त्यक्त्वा सर्वशरीराणि / अनंतझानदर्शनः // अनंतवीर्यसं""| पन्नः / सिघौ सिघो नविष्यति // 3 // युग्मं // हेमसुंदरभूपोऽपि / नरकेसरिनुजा // सादरं ध्रियमाणोऽपि / जगाम निजपत्तने // 4 // रणकेसरिणः पुत्रोऽप्युत्खातप्रतिरोपितान् // मुद्रा रत्नप्रभावेण / कुर्वन् सर्वमहीनुजः // 5 // प्रधानधूपगंधेन / वासिताखिलादिङ्मुखः // बंजमी | ति गजारूढो / धूपसारपटावृतः / / 76 // युग्मं // जन्मांतरसमाचीर्ण-पूर्णपुण्यानुजावतः // सर्वे | संपद्यते पुंसां / देवानामिव चिंतितं // 7 // . ... इत्येवं सर्वलोकस्य / कृतचित्तचमत्कृतिः // बुलुजे राज्यसौख्यानि / स्वेबया वनितासखः॥ 1. Go || कचिद्दिमानयानेन / कचिन्मत्तगजं गतः॥ कचिजात्याश्वमारूढः / कचित्स्यंदनवाहनः |॥ए || नंदनादिषु रम्येषु / काननेषु वनेषु च // रमते रम्यकांताभिः / सहितो नरकेसरी / / // 5 // युग्मं // कचिददृश्यरूपेण / क्वचिद् दृश्येन संचरन् / विज्ञातजनसंलापः / साहसांक | श्वापरः // 1 // पटहारवतो नित्यं / ज्वरं तुदन् शरीरिणां // प्रजा रदन विपक्षेन्यो / यथार्थः द. P.P. Ac Gunratnasuri Ms Jun Gun Aaradhak Trust