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________________ धर्म | तेन शीबूं निवेदितं // अथवा कृतपुण्यानां / चिंतितं निकटस्थितं // 55 // युग्मं // प्रारब्धा सर्व सामग्री / संप्राप्तो लमवासरः // वृत्तं महाप्रमोदेन / प्राणिग्रहणमंगलं // 60 // सामंतामात्यपौरादि-पर्यालोचपुरस्सरं // निवेशितो निजे राज्ये / कुमारो नरकेसरी // 61 // प्रशस्तेऽह्नि शुने चंडे / मुहूर्ते कार्यसाधके // मंदमदं सुखस्पर्श / पृष्टतो वाति मारुते // 6 // कृतर्डिशोनां सर्वत्र / तोरणध्वजराजितां // वरमंचसमाकीर्णा / नृत्यत्पण्यांगनाकुलां // 63 // शुभ्रादनमनोहारि-विवप्रासादतोरणां // विज्जनसमाकीर्णा / दिपवाजिरवाकुलां // 64 // नानासंव्यवहारानि-राप| णालीजिराकुलां // विवेश रंगशाला सो-ऽलकामिव धनेश्वरः // 65 // चतुर्तिः कलापकं / स नासन्ननिषमस्य / जनैः परिवृतस्य च // सुप्रसन्नदृशा लोकं / पश्यतो मेदिनीपतेः॥ 66 // तदा कुलकमायात-नाथदर्शनलालसाः / / गृहीत्वाध फलैः पुष्पैः / पत्रैरन्यैश्च कल्पितं // 6 // वीणावाणुविमिश्रेण / शंखनादानुगामिना // महता तूर्यनादेन / पूरिताखिलादिङ्मुखाः // 67 // सर्वे पौराः समागत्य / आशीर्वादपुरस्सरं // यथाविध्यर्चयामासु-स्तस्य पादौ मुदाकुलाः / / 65 // च. | तुर्जिः कलापकं // विसर्जिता नरेंण / ते सन्मानपुरस्सरं / / खं खं च निलयं जग्मु-स्तशुणोः / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036436
Book TitleDharmratna Karanda Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1915
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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