________________ धर्मः | च मुंचंत्यमी प्रायो / जैनसद्म निरंतरं // 20 // ...... - अन्यदा क्षेत्रपालेन / उर्मुखो नाम सेवकः // महाबलेन संदिष्टो / रे दुर्मुख त्वया सदा // // 25 // दिवा देयो न सणां / प्रवेशो जैनमंदिरे // रात्रौ च निर्विषाः कार्याः / प्रविशंतु य. दृखया // 30 // एवं तस्याः प्रजट्पंत्या / मातापितरावागतौ // प्रणतौ देवदेवस्य / दृष्टं इंई तयो. स्तथा // 31 // निविष्टौ वेदिकापृष्टे / कुमारेण नमस्कृतौ // सकंकणपरा पित्रोः / प्रणता सरलपभा / / 35 // कुमाराकृतिमालोक्य / विलोक्य दुहितुर्मुखं // समसंयोगसंतुष्टौ / पितरौ रंजितौतरां // 33 // दुर्नयोऽप्येष ते वसे / सुनयोऽजनि वेधसा // न गंगा सागरं मुक्त्वा / पतत्यल्पजलाशये // 34 // कृत्वा विवाहकार्याणि / स्वहस्तेन समर्पिता // नवत्वाजन्म संयोगो / गंगासागर योखि // 35 // श्यन्निधाय वेगेन / गतोऽसौ सत्वरं गृहे // प्रातरेव कुमारोऽपि / समेतो नवकांतया / / 36 // नवकंकणकः प्राप्तः / खावासं सारसाहसः // भृत्यमित्रकलत्राणां / कथिताखिलसंकथः // 37 // सावशेषां निशां नीत्वा / नानालापै पांगजः // कृतप्रत्यूषकर्तव्यो / रेमे मल| यचमिषु // 30 // पंचषानि दिनान्यत्र / नीत्वा विगतकौतुकः / उत्ततार गिरेस्तूर्ण / तत्कूटादिव | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.