________________ टीका धर्म- दीयमपि मूलतः // 16 // कस्त्वं कस्याथवा पुत्रः / किमेकाकी समागतः // नामादराणि H का. नि / श्रवंति श्रवणामृतं // 17 // कुमारेणापि निःशेषं / मूलतश्वरितं निजं // कथितं नाम पर्यंत / सानंदा सरलपना // 17 // नाथ त्वां प्रार्थये ह्येवं / पाणिग्रहं कुरुष्व मे // अत्रैव नवने भव्ये 146 / देवतादृष्टिगोचरे // 17 // जीवने मरणे त्राण-मेष मे कुलदेवता // विश्वविश्वंगरों बंधुः / प्र. थितामितकीर्तिकः // 20 // प्रतिपन्नं कुमारेण / संक्षेपेण विवाहिता // पूजितो वंदितो जक्क्या / श्रीशांतिः षोडशो जिनः // 1 // वेदिकायां निषन | कुमारेण समंततः // जत्फणा विफणा: श्चैव / नानारूपा लुजंगमाः // 2 // विशंतः परितो दृष्टाः / स्वल्पसत्वयंकराः // फुत्कारस्फारनि?ष-भृतावनिनजस्तलाः // 3 // परितः स्तंजमूलानि / स्तंगाग्राणि समंततः॥ वेष्टयित्वा स्थिता रात्रौ / गंधलुब्धाः सरीसृपाः // 24 // त्रिनिर्विशेषकं // वेदिकासु विशालासु / चित्रपुत्तलि. कासु च // सिंहशार्दूलमातंग-पुत्तलेषु ललंबिरे // 25 // बहिरंतश्च सर्वत्र / विसर्प द्भिर्जुजंगमैः // नवनं शांतिनाथस्य / जुजंगैरिव निर्मितं // 16 // नरकेसरिणा पृष्टा / कौतुकाकृष्टचेतसा / / प्रि. | ये किमिदमाजाति / यदि जानासि तदद // 27 // सा प्राह गंधलोनेन / दिवारात्रौ निरंतरं / न PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust