________________ 144 धर्म निः कलापकं // निरुपदसंचार / प्रविश्य जिनमंदिरे // दृष्टैका कन्यका तेन / गायंती वीणया / जिनं / / ए४ // गीतगर्न जिनं स्तौति / वादयति च वझकीं // तंत्रीस्वरस्य गीतस्य / विशेषो नैव लक्ष्यते // 55 // नमस्ते शांतिनाथाय / जगडांतिविधायिने // शांताकाराय शांताय / सुवर्णसदृशद्युते // 6 // नमस्ते देवदेवाय / लोकालोकविलोकिने // गुणैरतीतलोकाय / दुर्लदाय महात्मने | ए // त्रिलोककृतपूजाय / नष्टमोहमहारये // वाणीगोचरतातीत-गुणसंघातधारिणे // ए॥ शरण्य शरणायातां / पाहि मां परमेश्वर // मनोवांछितसंप्राप्त्या / सफटवेयं तव स्तुतिः // // एवं जिनमजिस्तुत्य / मुक्त्वा कोणे च वल्लकीं // निर्गय मंझपझारि / वेदिकैकामशिश्रियत् // 300 / / कुमारोऽपि प्रविश्यांतः / प्रणम्य जिननायकं // वेदिकैकां समासीनः / केसरीव शिलातलं // 1 // ततः ससंन्रमा बाला / वेदिकातो त्रुवि स्थिता // जाणता च कुमारेण / नऊँ का त्वं किमार्गता // 5 // शून्ये जिनगृहे नक्तं / कुतो वा कस्य वा मुता / / स्त्रीलक्षणयुक्तापि / सशोका केन हेतुना // 3 // युग्मं // दृष्टपूर्वेव मे गासि / जवती तालवने ध्रुवं // श्रावासयितु मारब्धे / मया व्याकुलमानसे // 4 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust