________________ धर्म कामसरोहिणी नाम | तरुणी तत्र चागता॥ दृष्टेति जातसंकेत-कुमारेण निरीक्षिता // 3 // / सीमंतके च विन्यस्त-पद्मरागमणित्विषा / सर्वतोऽपि विसारिण्या / नाशयंती निशातमः // 4 // त्रिनिर्विशेषकं // ततो विद्याधरः प्राढ / कुमार कुरु मे वचः // पिबेदं सुंदरं दुग्धं / हृद्यं मदुपरो धतः // 5 // विद्याकल्पो महाजाग / अर्धरात्रे तृतीयके // पीयतेऽनन्याव्यस्य / पय संपुटकत्रयं / // 6 // अतिथिस्त्वं समुत्तिष्ट / त्वयेदं सह पीयते // कुमारः प्राह सुंदव वं / रुचिर्मे नास्ति सांप्रतं // 7 // गत्वैकांते ततः सोऽपि / पयः पीत्वा समागतः // निषमः कुमरस्यांते / बजाणेदं स्फुटादोरैः // 7 // प्रजाते बिटवलक्षण / तर्पणीयो हुताशनः / / यदि सत्वं तदा सिधि-निःसत्वस्य वृ. था श्रमः // 7 // नररत्नमिवाजाति / जवांश्च परमाकृतिः / / समस्ति मे मनोवां / / पां वक्तुं न शक्यते // 10 // प्रहराष्ट्र महाजाग / प्रजाते यदि स्थीयते // ममांतिके तदा सर्व / सिहं मन्यामहे वयं // 11 // किमेनिश्चंचलैः प्राणैः / कर्तव्यं कुरु वांवितं // प्रातरेव जवत्पार्श्वे / मां जानी हि समागतं // 15 // इत्युक्त्वाथ कुमारोऽपि / दाएं सुप्त्वा निजाश्रये // तल्पमुलांचकाराशु / मि. 1 त्रार्थकरणोद्यतः // 13 // P.P.Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust