________________ धर्मः | // 1 // तथैव वलितो लोको / न च सिहं प्रयोजनं // कुमारश्चिंतयामास / नूनमेतत्कुतूहलं / / // ए॥ युक्त्वा विश्रम्य सर्वत्र / विलोकितकुतूहलः // योऽप्यावासमागम्य / सुष्वाप नृपनंदनः | // 3 // निशीथे खम्मादाय / निर्गतोऽलदितो जनैः // एकाक्येव महासत्व-श्वचाल नरके | सरी // 4 // दक्षिणां दिशमाश्रित्य / परिसर्पनितस्ततः // गतो नैऋतकोणस्थां / वनराजिविरा जितां // 55 // चंदसूर्यकरागम्यां / रौदामतिबिनीषणां // कृतांतवदनाकारां / गुहां जीममुखानियां // ए६ // मंत्रसाधकसाक्षेप हुंकारवचनैस्तथा // पुष्पधूपादिगंधैश्च / ससत्वेति विनिश्चितां // 7 // त्रिनिर्विशेषकं / प्रधानपद्मरागेण / तमःस्तोमविघातिना // प्रकाशितगुहादारा / दृष्टो विद्याधरीसु. | तः // 7 // कुमारेणापि संजात–विस्मयेन विलोकितः // कोऽयं युवा गुहामध्या-केसरीव विनिर्गतः // 70 // नितांतसुकुमारांगो। महौजा नव्ययौवनः // अत्यंतकृशसर्वांग-स्तपःकारी सुसाधुवत् // 200 / / युग्मं // . संभ्रांतं कुमरं दृष्ट्वा / समागत्य कृतादरः // पपड खागतं प्रातः / कुतस्तेऽत्र समागमः // 1 // कुमरेण कथितं किंचि-त्किंचित्तेन निवेदितं // एवं परस्परालापै-स्तयोस्तत्रावतिष्टतोः // 2 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun 'Aaradhak Trust