________________ धर्म- विन्यस्त-तिलकेन विराजितः // आरामोद्यानरम्येषु / काननेषु वनेषु च // 1 // सरसीषु तडा. का गेषु / निर्करेषु नदीषु च // लताममपगुटमेषु / दादामंडपमिषु // 72 // निकुंजेषु मनोज्ञेषु। | नानापुष्पसुगंधिषु // नागवल्लीमनोज्ञेषु / सोऽक्रीडत्सह कांतया // 3 // कुलकं // अनमप्रसरं त. | स्य / क्रीमतः काम मिषु // संपूर्णाशेषकामस्य / मासैरपि दिनायितं // 4 // प्रिये स्थान प्रमो. दानां / मलयो हि मया श्रुतः / तेनादृष्टेन नो किंचि-मया दृष्टं कुतूहलं // 4 // तयापिकथितं मात-मात्रा गर्ने निवेदितं // तेनापि कारिता सर्वां। सामग्री यानहेतवे // 5 // विशि टनदयजोज्यानि / यदन्यदपि सुंदरं / तउपयोगि योग्यं च ! तत्सर्वं प्रगुणीकृतं // 6 // सनृपः सकलत्रश्च / बहुलोकगणान्वितः // कुमारो नगमारूढः / कैलाशमिव शंकरः // 7 // तत्र ताल वने रम्ये / चंदनामोदसुंदरे // एलागंभृतघ्राणे / फरनिमरहारिणी // 7 // कृतो वासः कुमा| रेण / दृष्टैका हारहारिणि // श्रवणासक्तवजेंद्र-कुंमलोद्योतितानना // || अष्टादशाब्ददेशी या। कांतकार्तस्वरप्रजा / / समुत्तीर्य नन्नोमार्गा-दक्षिणां दिशमाश्रिता || 70 // त्रिनिर्विशेषकं | // कैषा कैषेति जल्पंतो / धाविताः पृष्टतो जनाः // सापि दुर्जनमैत्रीव / दणादेव न दृश्यते // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust