________________ 133 धर्मः खेदो न कर्तव्यः / करोमि तव वांजितं // इत्युक्त्वा प्रेषिता भृत्याः / सोपदा हेमपत्तने // 27 // / - तेऽपि हेमपुरं प्राप्य / प्रतीहारनिवेदिताः // सोपायना निरुत्सेकाः / सनामंडपमागताः // 15 // अष्टादशशरं हारं / हरहाससमप्रनं // सारश्रीखंडखंडानि / विमुच्य पुरतो नताः // 60 / / युग्मं / / | | निषमा दर्शितस्थाने / दृष्टाः सानंदया दृशा // पृष्टाश्च क्षेमं सर्वत्र / मलयकेतुभूभुजः / / 61 // क्षेमे च कथिते प्रोक्ताः / किमागमनकारणं // ततस्तैरर्पितो लेखः / संदिष्टं कथितं गिरा // 6 // म. लयकेतुपेन / योजूयः कृतादरं // संदिष्टं च तथा कार्य / कुमारो नरकेसरी // 63 // यथा शीघ्रं समायाति / मलये सह वत्सया // एष संदेशकः स्वामिन ! लेखार्थोऽप्ययमेव च // 64 // युग्मं // ततः संभूषिता राज्ञा / वस्त्राभरणषणैः // प्रतिप्राभृतहस्ताश्च / ते शुनेऽह्नि विसर्जिताः // 65 / / ससहायः कुमारोऽपि / समये सह कांतया-॥ गस्तत्र नृपेणोक्तः / पंथानः संतु ते शि. वाः // 66 // . द्रोणीनिर्जलमुत्तीर्य / गतास्ते स्तोकवासरैः // समागासन्मुखं तत्र / मलयकेतुर्नृपतिः // 6 // प्रवेशितो मुदा तेन / कृत्वा पुरमहोत्सवं // श्वश्रूश्वशुरमानम्य / कुमारो नरकेसरी // 67 // निषः / P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust