________________ धर्मः | वृतिः // प्रतिपन कुमारेण / गृहीतं विधिपूर्वकं // 46 // सुता मलयकेतोश्च / लक्षणोपेतविग्रहा // सुप्ताकृष्य मयानीता / चंडिकावलिहेतवे // 5 // पूर्वसेवा कृता ताव-दुत्तरा चावतिष्टते / तत्र कन्यावलिं दत्वा / साधयिष्यामि यक्षिणीं // 4 // स्थितमेतद्यथा चैषा / प्राप्नोति पितृमंदिरे // तथा त्वया च कर्तव्यं / यो नवतु दर्शनं // 45 // गतो योगी कुमारोऽपि / कामदेवगृहे ग. तः॥ दृष्टोऽसौ मेघनादेन / पृष्टश्च कोषितो जवान // 50 // : तेनापि कथितं सर्व / यथा वृत्तं तथाखिलं // विहस्य जाणितं तेन / तुष्टस्ते मित्र मन्मयः // 11 // मुहूर्तमेकमव / स्थातव्यं स्थिरबुधिना // प्रतिपन्नं कुमारेण / मेघनादो गतो गृहे / / // 55 // प्रोक्तः सर्वोऽपि वृत्तांतः / प्रहृष्टो हेमसुंदरः // चलितः सर्वसामय्या / संप्राप्तः काममंदिरे | // 53 // गंधवारणमारोप्य / सश्रृंगारं वधूवरं // प्रविवेश पुरं राजा / कृतशोनं समंततः // 14 // संपादितेतिकर्तव्यः / स्वयं राज्ञा च सत्कृतः / / वस्त्रैश्च वृषणाद्यैश्च / कालं नयति अपनः / / 55 / / अन्यदा झातवृत्तांतो / मलयकेतुमिपः // तुतोष हृदये बाढं / माता मलयसुंदरी // 26 // प्रोक्तो मलयसुंदर्या / मलयकेतुमिपः // शोजनं यदि जामाता / सहायात्यत्र वत्सया // 57 // प्रिये P.P.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust