________________ तोऽतर्कितो येन / त्वया सह समागमः // 23 // आपदः संपदश्चैव / समीपस्थाः शरीरिणां // था. 1. पदपि च येनैषा / मे जाता संपदुत्तमा // 14 // कुमार कुरु मे पाणि-ग्रहणं कामकानने // 3 हैव किं विचारेण / दीर्घसूत्री विनश्यति // 25 // हुताशं साक्षिणं कृत्वा / गांधर्वन विवाहिता // चुक्ता सर्वांगसंस्पर्श | जाता सर्वांगनिर्वृतिः // 26 // उपहत्य जनं कंचि-कंचिङ्गक्त्वा ल. तागृहान // इतस्ततः परित्रम्य / मोटयित्वाऽवनीरहः // 27 // तुरंगिभिः समानीतो / वेणुग्राहैः कदर्थितः // अधोरणवशं जातो / यातो पुरवरे गजः // 2 / / युग्मं // यथास्थानं गतो लोको / विजनं कामकाननं // सुवसं पुर्वसं धत्ते / दुर्वसं सुवसं सुधीः // 2 // यतः-अघटितघटितानि घटयति / सुघटितघटितानि जर्जरीकुरुते // विधिरेव तानि घट्यति / यानि पुमान्नैव चिंतयति // // 30 // दीपादन्यस्मादपि / मध्यादपि जलानिधेर्दिशोऽप्यंतात् // थानीय मटिति घटयति / वि. घिरजिमतमनिमुखीजूतः // 31 // गह्वराच कुमारोऽपि / खाहस्तो विनिर्गतः // पश्चानिर्गता का ता / सत्कांता जयसुंदरी // 31 // पतिसंपर्कसंजातां / बिभ्राणा वपुषः श्रियं // कंकणं च विवाहा. | ख्यं / दधती वामपाणिना // 33 / / शिरस्याहितसत्पुष्पा / कर्णविन्यस्तपल्लवा // वनश्रीखि चैतस्य / P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust