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________________ धर्म तजगत्त्रयः / / तेजो बहुतरं प्राप / हविषेव हुताशनः // 66 // केवलोऽपि बली कामो / दुर्जयः सर्वदेहिनां // किं पुनर्जनितोन्मादो / मधुचंद्रकृत्सन्निधिः // 6 // चलद्भिः पल्लवैर्यत्र / मलयानि | लकंपितैः / / मधुराजागमे तुष्टा / नृत्यंतीव महीरुहाः // 6 // // गंधलुब्धालिशब्देन / वृदकक्षेषु सर्पता // संगीतमिव कुर्वति / तरवो मुदिताशयाः ॥६ए / कोकिलानां निनादेन / स्त्रीमानग्रंथिनेदिना / / सितकुसुमैर्हसंतीव / वसंते वनराजयः / / 10 / पुष्पकालेऽपि वक्रत्वं / श्यामत्वं यत्र का भवेत् // फलाशा किंशुकस्तेन / मुक्तः पत्रैरनागतं // 11 // पुष्पितान फलितान दृष्ट्वा / सर्वतोऽ. पि वनस्पतीन् / संजाता ति कालास्या / दुर्जना श्व किंशुकाः // 12 // किंशुकं पुष्पितं दृष्ट्वा / देशांतरगतैरपि / स्मर्यते वल्लभाश्चित्ते / नवरंगविराजिताः // 73 // निरांजसि ममाभिः / शा. खाजियन शाखिनः // जलांजलिं प्रयति / पथिकानां गतायुषां // 14 // किंशुकैनवरंगान-मर्दनफलहस्तका // वसंतललना यत्र / रेजे नववधूखि // 15 // कोमलैतिवादित्रै-मनैश्व मनोहरैः // खबचंदनवस्त्रैश्च / शृंगावरयोषितां // 16 // कलकोकिलनादेन / दोलांदोलेन ली. |लमा // जलयंत्रविचित्रैश्च / देवालयमहोत्सवैः / / 1 / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036436
Book TitleDharmratna Karanda Tika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1915
Total Pages404
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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