________________ 15 धर्मणि / पापा मारणहेतवे // 42 // अन्यदा मिलिता तस्या / वत्साख्या परिवाजिका // सन्मान्य सा ततोऽयाचि / तया चूर्ण दयंकरं // 3 // वत्सयापि च तदत्त-मुपचारगृहीतया // ततो व. त्सा महापापा / साशंका खमठे गता // 4 // वसुंधरापि तन्मिश्य / जोजनेन दिने दिने // द. दाति रत्नचंद्रस्य / चूर्ण मारणहेतवे // 45 // कालेन गबता जातः / दोणांगचूर्णदोषतः / न | शक्नोति समुद्रातुं / तत एवमचिंतयत // 46 / / को गुणोऽनेन देहेन / निर्गुणेनाहतेन मे / च. तुर्नेदस्य संहार-माहारस्य करोम्यहं / / 4 // विचिंत्यैवं ततो धर्मे / धनं दत्वा यथोचितं / / पूजयित्वा जिनाधीशं / सुगंधकुसुमादिन्निः // 4 // कर्पूरागुरुसन्मिश्रं / धूपं दग्ध्वा तदग्रतः // रोमां चांचितसर्वागो / बध्वायुष्कं सुरेष्वयं // 4 // विधायानशनं मृत्वा / देव न्यं गतिं गतः / / सौ धर्मे देवसौख्यानि / चुक्त्वा चायुःदये च्युतः // 50 // त्रिनिर्विशेषकं // . बंगाजनपदे रम्य-रंगशालामहापुरि // राजलक्षणसंपन्नो। राजा च रणकेसरी // 11 // नरकांता प्रिया तस्य / सर्वदापि मनःप्रिया // रणकेसरिजूपस्य / सर्वकार्येषु संमता // 12 // तस्याः | | कुदौ समुत्पन्नः / शुजस्वप्नेन सूचितः // समये स्थापितं नाम / पुत्रस्य नरकेसरी // 53 // समये / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust!