________________ धर्मः | स्य / वव्रजुविासराः // 30 // गृहाणि कुकलत्रेण / दुःपुत्रेण कुलानि च // धनं कुव्यवहारेण / नूनं नश्यति देहिनां // 31 // क्षणवंचनया वर्ष / दिनं जुक्ते कुशोजने // कुभार्यया हतं जन्म / / हतो राजा कुमंत्रिजिः // 32 // फलपुष्पकृते गेहा-निर्गतो नष्टमानसः // दृष्टाश्च पुरलोकानां 121 | | कुर्वतो धर्मदेशनां / / 33 // परोपकरणे निष्टाः / करुणामृतसागराः / गुणरत्नधरा धीरा / दम सारमुनीश्वराः / / 34 / / युग्मं // यथा जीवाः प्रबुध्यते / विमुच्यते च कर्मभिः // संक्लिष्यंते यथा चैते / नरकं याति यथा तथा // 35 // रत्नचंद्रोऽपि वंदित्वा / निषसः शुन्तले // धर्म श्रोतुं समारब्धो / दुःखदुःखितमानसः // 36 // यथा जिनाग्रतो धूपं / कर्पूरागुरुमिश्रितं // जावतो यो दहत्युच्च-स्तस्य श्रीः सर्वतोमुखी // 37 // इत्यादिकथिते धर्मे / सुरिणातिप्रबंधतः // तेनावस रमासाद्य / सूरिं नत्वा च नावतः / / 37 / / प्रपन्नो रत्नचंजेण / सर्वज्ञो हृदि देवता / / सर्वझन णितो धर्मो / गुरवस्तु सुसाधवः // 30 // विरती रात्रिनोज्यस्य / मधुमद्यनिवर्तनं // नवनीतस्य मांसस्य / मैथुनस्य विवर्जनं // 40 // दमसारं गुरुं नत्वा / रत्नचंद्रो निजे गृहे // गतः करोति | यत्नेन / प्रपन्नगुणपालनं // 1 // ब्रह्मचर्यव्रतं. श्रुत्वा / चुकोपास्मै वसुंधरा // निजालयति निद्रा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust