________________ 10 // धर्म। भो नो निंदाचरा नूनं / नानादेशविचारिणः // किं दृष्टं किंचिदाश्चर्य / कुत्रापि जगतीतले // 6 // // एकेनोक्तं मया दृष्टो / हटता चैकपत्तने / एकाद एकपादश्च / विहस्तो विकृताकृतिः // | // 70 // तृणाहारो नरः कोऽपि / स्थानासनविवर्जितः // न पुमान्न पशुः पूर्णो / नृपशुः प्रथितो | जने // 11 // ततो विस्मयमापन्नो / लमोऽहं तस्य मार्गतः // कर्तु तस्योपचारं च / प्रयबामि तृ. णादिकं // 7 // अन्यदा गतचिंतोऽसौ / नरपशुरनाषत / किमर्थ क्रियते भऽ / मम सेवा वया वद / / 73 // विस्मयो मे महानाग / तव वृत्तांतवेदने / किं त्वमेवंविधो जातः / पश्चाहा के. नचित्कृतः // 7 // तेनानाणि समस्त्यत्र / विप्रो विश्वंचरानिधः // श्राहितामिश्चतुर्वेदी / तत्पुत्रो. ऽहं जनार्दनः // 15 // समिधानयनायाथ / पित्राहं प्रेषितो वने // गबन गतो महाटव्यां / दि. ग्मोहेन व मोहितः / / 76 // तत्राश्रमपदं दृष्टं / नानावृतासमाकुलं / विहंगविततारावं / मायू. थनिषेवितं // 7 // गतोऽहं तत्र च दृष्टा / सहकारतरोरधः / / कुरंगकेसरानाम्नी / तापसी नवयौवना || ज // संत्रमादसतः सस्त / वल्कलं करपल्लवैः // यानयंती निजस्थाने / मधुरं चणिता मया // 4 // अहें ब्रह्मसुतो नं। श्राहिताग्निर्जनार्दनः // दिग्मोहादिहायानः / का वं कस्या P.P. AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust