________________ धर्मः / गतः कालो / विषयासक्तयोस्तयोः // 23 // विटेन नणिता किं न / गृहस्वामी प्रजटपति // सु. - खसंवेदनादद्य / लब्धनिद्रो चविष्यति // 24 // तेनोक्तं महतीराः / पयःपानं न याचते // यः तिनिडापितो नद्र / सोऽपि चेतसि शंकितः // 25 // खटपस्नेहो विषमश्च / कामक्रीमापराङ्मु. 105 खः // तांबूलांतर्विषं दत्वा / तया सोऽपि निपातितः // 26 // कुटीरकात्समाहूया-नीतः कार्पटि कस्तया / जणितश्च गृहाणेदं / मुखमूले कलेवरं / / 27 // स्वयं च पादयोलमा / नीतं तद् गृह पृष्टतः / प्रदिप्तं विजले कूपे / व्यतीता जारसंकथा // 20 // कचवरेण चाबगद्य / समागत्य निजे गृहे // सुप्ता निराकुला याव-ताम्रचूडेन वासितं // 25 // योऽपि च समुबाय / गता तस्मिन् कुटीरके / स्वप्रपंचाप्रकाशार्थ / सर्प जल्पितं तया // 30 // मुहूर्तमेकमत्रैव / स्थेयं नि. दाचर त्वया // विसर्जितेन गंतव्यं / प्रपन्नं तेन तद्वचः // 31 // मुक्तकेशा निरानंदा / फुःखसं. जारजारिता // सशोकेव कृतानंदा / सदुःखेव सरोद सा // 32 // मिलितो हेलया लोको / दृष्ट्वा नां दुःखदुःखितां / / रुदंती नर्तृनामानि / समुच्चार्य पुनः पुनः // 33 / / पृष्टा च तेन किं घडे / | रोदितव्ये निबंधनं // न ददाति वचस्तेषां / रुदत्येव हि केवलं // 34 // हा नाथ शुःखितां मु. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust