________________ धर्म | प्रतलीत-चतुर्गतिगमागमः // सर्वसौख्यखनिर्जातो / गंधपूजाप्रनावतः // 15 // - यत्रैव नगरे राज्यं / जोगा जनमनोहराः / / पर्यते निर्मला दीदा / ततस्ते सिधिसंगमः // | // 13 // वियोजितः सकिया य-माधवेन सता त्वया // कुरंगीतनयस्तेन / वियुक्तस्त्वं सहांच 104 | या // 14 // नित्यं धर्मेण वर्धस्व / किमन्यद् बमहे वयं // वर्तमानेन योगेन / यास्यामोऽतो वयं प्रगे // 15 // विहृताः सूरयोऽन्यत्र / मुदितो रत्नसुंदरः // सर्मरत्नलाभेन / संतुष्टो निजमानसे // 16 // अन्यस्मिंश्च दिने नक्तं / गिदाकार्ये निर्गतः // नमन गृहाद्गृहं चैष / संप्राप्तश्चैकम दिरे // 17 // विशाले स्वल्पमानुष्ये / व्याधिगृहीतनायके / पुष्पतांबूलकर्पूर-पूर्णसङितगा. जने // 10 // युग्मं / निर्गतैकाबला भिदा-मादाय करकुमले // दत्ता तया गृहीता च / नपिता तेन सा यथा / / 17 !! करोमि नोजनं न / नयाम्यत्रैव शर्वरीं / / प्रजातेऽहं गमिष्यामि / यदि वः प्रतिजासते // 20 // तयापि दर्शितं तस्य / शून्यमेकं कुटीरकं / / नुक्तः सुप्तश्च तत्रैव / शृणोत्येवंविधं वचः // 21 // पाहि पाहि पयः पापे / म्रियेऽहं तृषयाधुना // ततस्तया विषं दि. प्वा / स पयः पायितो रुषा // 2 // समागतो विटः कोऽपि / कृता प्रगुणता तया // कियानपि / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust