________________ पायः सचेतन श्व प्राणी / मोहनीयेन कर्मणा // 15 // क्रीमाशुकमिवावट्य / रिपुं वाजिरपंजरे // त- / मास्य प्रियां प्रीतिमती-मवरोधे रुरोध सः // 16 // पार्थिवः प्रार्थयामास | कोकासं स्वकतामिमां // अशेषशेषसहिद्यान / कुमारान् मम शिदय // 17 // तदरत्नमयाचख्यौ / कलापीयं कला नृप | // न नृपतिनुवां नाति / श्मश्रुश्रीखि योषितां // 17 // एवं वदन्नपि नृपा-ग्रहतो महितोद्यमः // सकष्टं काष्टकर्मासौ / कुमारानध्यजीगपत् // 15 // क्रीडया निर्मितौ तेन / चारू दारुमयौ ह. न्यवडे करीने ते राजाए स्त्रीसहित ते अरिदमन राजाने पकमी लीधो. // 15 // पनी तेणे ते यरिदमनने क्रीमा करवाना पोपटनीपेठे पोताना यांगणामां रहेला पांजरामां पूरीने तेनी स्त्री प्रियमतीने पोताना जनानखानामां मोकली दीधी. // 16 / / पनी राजाए कोकासने विनंति करी के | बाकीनी सघळी सविद्यावाळा था मारा कुमारोने तुं तारी कला शिखाव ? // 17 // त्यारे कोकास बोल्यो के, हे राजन् ! था कला पण जो के कला , तोपण स्त्रीनने जेम दाढीमुन तेम राजपु. त्रोने या कळा शोजशे नहि. // 10 // एम कह्या छतां पण राजाना याग्रहथी ते उद्यमपूर्वक | केटलीक मुश्केलीए कुमारोने सुतारकाम शिखववा लाग्यो. // 15 / / पजी तेणे विनोदमाटे का. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust